BAGLAMUKHI SHABAR MANTRA SECRETS

baglamukhi shabar mantra Secrets

baglamukhi shabar mantra Secrets

Blog Article

The Sadhana is very fashionable in certain rural regions and leads to a satisfying generate. In advance of executing the sadhana, the mantra is awakened by chanting it 1008 situations  in the auspicious event of Holi, Diwali

पीत – वर्णां मदाघूर्णां, सम – पीन – पयोधराम‌् ।

इस परिशिष्ट में जिन मन्त्रों का उल्लेख किया जा रहा है, वे लोक- परम्परा से सम्बद्ध भगवती-उपासकों द्वारा पुनः-पुनः सराहे गए हैं। इन मन्त्रों का प्रभाव असंदिग्ध है, जबकि इनके साधन में औपचारिकताएं नाम मात्र की हैं। यदि भगवती बगलाम्बा के प्रति पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा-भाव रखते हुए इन मन्त्रों की साधना की जाए, तो कोई कारण नहीं है कि साधक को उसके अभीष्ट की प्राप्ति न हो।

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद स्वाहा॥

राजा विक्रमादित्य को दिए थे दर्शन मां बगलामुखी देवी ने, पढ़ें कहां और कैसे

नमस्ते बगलां देवीं, जिह्वा-स्तम्भन-कारिणीम् ।

यहाँ पर उल्लिखित शाबर मन्त्र के सम्बन्ध में अनुभवी साधकों का यह निष्कर्ष है कि यह परमशक्तिशाली मन्त्र है और इसका प्रयोग कभी निष्फल नहीं होता है। यह प्रबल बगलामुखी शत्रु विनाशक मंत्र है। इसका सिद्धि-विधान भी अत्यन्त ही सरल है। इसके लिए साधक को यह निर्देश है कि भगवती बगला की सम्यक् उपासना एवं उपचार के उपरान्त प्रतिदिन दो माला जप एक more info महीने तक करें। इतने अल्प समय और अल्प परिश्रम से ही यह मन्त्र अपना प्रभाव प्रकट करने लगता है।

स्वर्ण-सिंहासनासीनां, सुन्दराङ्गीं शुचि-स्मिताम् ।

Indicating: We pray to Mata Baglamukhi to restrict the movement in the enemies and safeguard us from their evil intentions.

प्रत्यालीढ-परां घोरां, मुण्ड-माला-विभूषिताम् । खर्वां लम्बोदरीं भीमां, पीताम्बर-परिच्छदाम् ।।

जातवेद-मुखीं देवीं, देवतां प्राण-रूपिणीम् । भजेऽहं स्तम्भनार्थं च, चिन्मयीं विश्व-रूपिणीम् ।।

O Devi Baglamukhi, that's holding the suggestion with the enemy’s tongue with her left hand and punishing him

ॐ मलयाचल बगला भगवती महाक्रूरी महाकराली राजमुख बन्धनं ग्राममुख बन्धनं ग्रामपुरुष बन्धनं कालमुख बन्धनं चौरमुख बन्धनं व्याघ्रमुख बन्धनं सर्वदुष्ट ग्रह बन्धनं सर्वजन बन्धनं वशीकुरु हुं फट् स्वाहा। 

पीताम्बर-धरां देवीं, पीत-पुष्पैरलंकृताम् । बिम्बोष्ठीं चारु-वदनां, मदाघूर्णित-लोचनाम् ।।

Report this page